नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन में शामिल लोग दिनभर मंच से नारे लगाते हैं कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू हुआ तो उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कागजात दिखाने पड़ेंगे, लेकिन वे खुद बिना किसी अधिकार आम लोगों के आई-कार्ड (पहचान पत्र) चेक कर रहे हैं। आईकार्ड दिखाने वालों को फिर उनकी जांच प्रक्रिया से भी गुजरना पड़ता है। किसी शख्स के पास पहचान पत्र नहीं होता है तो उसे वापस आश्रम होकर जाने की सलाह दी जा रही है।
पिछले कुछ दिन से तो उन्होंने प्रदर्शनस्थल के आसपास के इलाके को रस्सी लगाकर बंद कर वहां अपना ही कानून लागू कर दिया है। उधर से गुजरने वाले आसपास के इलाके के लोगों में इससे खासा रोष है। प्रदर्शनकारियों ने शाहीन बाग में नोएडा की ओर जाने वाले रास्ते को डेढ़ महीने से अपने अधिकारों की लड़ाई कहकर बंद कर रखा है। इसके बाद भी वहां से कुछ लोग पैदल गुजर रहे थे। अब उन्होंने आम लोगों के अधिकारों का खुलेआम हनन शुरू कर दिया है। वे कालिंदी कुंज-नोएडा की ओर जाने वालों की भी जांच कर रहे हैं। इस रास्ते से जाने वालों को अब पहचान पत्र दिखाना पड़ रहा है। प्रदर्शनकारियों ने हर रास्ते को रस्सियां लगाकर बंद कर दिया है। उन पर इलाके के युवाओं की टोली को खड़ा किया गया है। यहां लोगों के पहचान पत्र की जांच कराई जा रही है। इस मनमानी के बाद इस रास्ते से गुजरने वाले लोगों के अंदर आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
सरिता विहार के आनंद वर्मा का कहना है कि शाहीन बाग का हाल ऐसा हो गया है, जैसे यह किसी दूसरे देश का हिस्सा है। प्रदर्शनकारी रास्ते से गुजरने वालों से भी अभद्रता करते हैं। जांच के नाम पर वह महिलाओं को भी नहीं छोड़ रहे। जसोला के ही संजय कसाना बताते हैं कि वह किसी काम से पैदल कालिंदी कुंज की ओर जा रहे थे, लेकिन उनके पास पहचान पत्र नहीं था। इस वजह से उन्हें वापस लौटा दिया गया।
कुछ ऐसा ही दर्द उन महिलाओं का है, जो पैदल नोएडा जाती हैं। उनकी जांच महिलाओं का दस्ता करता है। शाहीन बाग के आसपास के इलाके में रहने वाले लोगों का कहना है कि जो खुद पहचान पत्र न दिखाने की लड़ाई लड़ रहे हैं, वे दूसरों के पहचान पत्र देखकर उनके वहां से निकलने का फैसला क्यों कर रहे हैं। पुलिस को इस रास्ते को जल्द खुलवाकर आम लोगों की परेशानी दूर करनी चाहिए।